4 भागों में विभक्त की गई नाड़ी
(ĀÂ)शिव संहिता में नाड़ी की संख्या 4 भागों में विभक्त की गई है।
त्रिविध नाड़ी - इड़ा , पिंगला, सुषुम्ना
दशविध नाडियाँ - दश नाड़ियाँ
चतुर्दश नाड़ियाँ - चौदह नाड़ियाँ
और कुल नाड़ी संख्या 72,000 अथवा 3,50,000 बताई गई है।
मेरुढ़ण्ड के वाम भाग में इड़ा नाड़ी स्थित रहती है और इसके देवता चंद्रमा है।
मेरुढ़ण्ड के दक्षिण भाग में पिंगला नाम की नाड़ी स्थित रहती है। जिनके देवता सूर्य है।
सुष्पना इड़ा को ढकी रहती है और इड़ा सुष्पना के वाम भाग में रहती है।
इडा नाड़ी दक्षिण नासिक तक फैली रहती है। एवं इसका रंग भी वैसा ही होता है जैसा कमल का फूल दिखता है।
*पिंगला* नाड़ी तेजस्वी लाल, रूद रूपी ओर प्रकृति में आग्नेय है। इसलिए इसे सूर्य नाड़ी भी कहते है।
पिंगला नाड़ी सुष्पना के दक्षिण में स्थित है। यह सुष्पना के सहारे के साथ वाम नासिक में प्रवेश करती है।
सूर्य पिंगला का देवता है और उसके साथ बारह गुणा प्रभाव मेरुदंड की जड़ पर प्रदर्शित होता है।
पिंगला का रंग श्वेताभ लाल होता है।
*सुष्पना* नाड़ी को तीनों नाड़ियों में सबसे प्रधान बताया गया है। तथा यह इड़ा ओर पिंगला नाड़ी के मध्य में स्थित होती है।
*This is just a collection of information from ayurvedic books
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